Tuesday, February 13, 2018

PERSONAL INTEGRITY VS PUBLIC MORALITY.


PERSONAL INTEGRITY VS PUBLIC MORALITY.

जारी है अगर बुलबुल-ए-नादाँ का कुसुर ।
है खन्द-ए-वजाँ गुल-ए-खन्दाँ का कुसुर ।
क्युँ मेरी निगाहोँ पर है सारा इलजाम?
कुछ भी नहिँ हुस्न-ए-आम उरिया की कुसुर?

अगर फुलोँके चारोँ और चहचहाति बुलबुलको दोष देते हो, तो मैं कहता हुँ कि उस थोडीसि दिखाती-थोडीसि छिपाती अधखिली कलि का भी दोष है। सारा इलजाम मेरे ही नजर पर क्योँ है? क्या वह, जो अपने मादकताको साधारण स्थानमें विखेरता है, मादक वितरण - contributory negligence - का दोषी नहिँ है? यदि कोइ विना प्रतिदानके (free) कोइ मादकद्रव्य (drug) वितरण करता है, तो क्या उसे भी दोषी नहिँ मानना चाहिये? केवल सेवन करनेवाला ही दोषी होगा?

प्रकृतिका नियम है कि नारी का शरीर पुरुषको आकृष्ट करता है तथा पुरुषके गुण उसके शरीरको नारीके लिये आकर्षणका कारण वनाता है । यदि कोइ युवक यह कहे कि लडकीयोँ का शरीर उसे नहिँ लुभाता, तो उसका अर्थ यह होगा कि वह नपुंसक है । यदि कोइ लडकी यह कहे कि उसे लडके पसन्द नहीँ है, तो वह मिथ्यावादीनी है । परन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि सवको सव लडके अथवा लडकी पसन्द है । किमिव ही मनुष्याणां सुन्दर वाप्यसुन्दरम् । यदेव रोचते यस्मै भवेत्तत्तस्य सुन्दरम् । सुन्दर अथवा असुन्दर कुछ नहीँ होता । जो जिसे अच्छा लगता है, उसकेलिये वही सुन्दर है । नारीका शरीर ही विश्वमें एकमात्र वस्तु है, जो मनुष्यके पाञ्चों इन्द्रियोंको एक ही समयमें तृप्त कर सकती है । इस विषय पर नारी एवं पुरुषमें समानता नहीँ है । अतः यहाँ पुरुषों का परिधान नारीयोँसे तुलना योग्य नहीँ है ।

हम जिस वस्तुको मुल्यवान विचार करते (जैसे गहने) हैं, उसे सम्भालकर - locker में - रखते हैं । जिसे मुल्यहीन विचार करते (जैसे जुती) हैं, उसे सवके सामने रखते हैं । कोइ लडकी कैसे कपडे पहनती है, यह उसका अधिकार है । परन्तु यदि वह साधारणस्थानमें अङ्गप्रदर्शन करती है, तो यह समझा जायेगा कि वह अपने शरीरको गहने जैसे मुल्यवान नहीँ, परन्तु जुती जैसे मुल्यहीन समझती है । हमें किसी दिशामें पत्थर मारने का अधिकार है । परन्तु वह पत्थर यदि दुसरेको लगे, तो प्रतिरोध करनेका अधिकार उसे भी है । साधारणस्थानमें लडकीयोँ का अङ्गप्रदर्शनसे उत्तेजित होना किसी भी युवक के लिये स्वाभाविक है । घरके उपजके वारेमें कोइ मोलचाल करे तो दोष है । वही वस्तु जव वाजारमें दिखे तो उसके मोलचाल करना दोष नहीँ है । परन्तु उस युवकको भी संयमित रहना चाहिये । अन्यथा उसे दण्डका भागी होना पडेगा । यह सोचका विषय नहिँ है । यह एक प्राकृतिक नियम है । प्राकृतिक नियमको मनुष्यकृत नियमोंसे नियन्त्रित नहीं किया जा सकता । मलत्याग निरोधक कोइ नियम पालनयोग्य नहीं हो सकता । साधारणस्थलमें मलत्यागको नियन्त्रित किया जा सकता है।

जो लडकियाँ पहननेकी स्वाधीनता का प्रश्न उठाते हैँ, उनसे मेरा प्रश्न है कि अपने स्वामी या प्रेमीके साथ अकेलेमें जो कर सकते हैँ, क्या वह सवकुछ सवके सामने करनेका उनका अधिकार है? यदि वह ऐसा करेंगे तो क्या वे दण्डका भागी नहिँ होँगे? तो फिर साधारणस्थानमें उन्हीं अङ्गोँका प्रदर्शन कैसे उनका अधिकार वन सकता है? जव दो प्रेमी एकान्तमें मिलते हैं, तो वहाँ शारीरिक अखण्डता (personal or bodily integrity) नहीं रह जाती । मिलन अखण्डता का विरुद्ध भाव है । मिलनमें दोनों अपने अखण्डसत्ता को त्यागकर एकात्म हो जाते हैं । जिसमें यह भाव नहीं है, वह मिलन ही नहिँ है, देहव्यापार मात्र है ।

No comments:

Post a Comment

let noble thoughts come to us from all around